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देश भक्ति गीत – सुशी सक्सेना

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इश्क ऐ वतन

इश्क ओ उल्फत कुछ हमें भी है इस वतन से।
कुछ कर गुजेरेंगे, इक रोज़ हम भी तन मन से।

गुलशन अपने वतन का जार जार न होने देंगे।
इसकी किसी भी कली को बेजार न होने देंगे।

अमर शहीदों की अमानत को संभाल कर रखेंगे।
प्यारे वतन को हर मुश्किल से निकाल कर रखेंगे।

नाम हो रोशन, और ऊंची हो इस देश की हस्ती।
कुछ इस तरह से करनी है, हमें तो वतनपरस्ती।

ये देशभक्ति और इमान ही सबसे बड़ा गहना है।
इसकी कीमत को नहीं इतनी भी सस्ती करना है।

खरीद कर ले जाए, हर कोई बड़ी आसानी से।
कह दो ये बात दुनिया भर के हर हिंदुस्तानी से।

ये कलम लिख रही इसका एक आगाज़ नया।
फिर से आएगा इक रोज़, यहां इंकलाब नया।

साहिब, आज फिर मुझे इस बात का गुमान है।
कि मेरी ये जो जन्म भूमि है, वो ये हिंदुस्तान है।

सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश

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