धनतेरस पर कविता

कार्तिक कृष्ण द्वादशी धनतेरस Karthik Krishna Dwadashi Dhanteras
कार्तिक कृष्ण द्वादशी धनतेरस Karthik Krishna Dwadashi Dhanteras

सजा धजा बाजार, चहल पहल मची भारी
धनतेरस का वार,करें सब खरीद दारी।
जगमग होती शाम,दीप दर दर है जलते।
लिए पटाखे हाथ,सभी बच्चे खुश लगते।
खुशियाँ भर लें जिंदगी,सबको है शुभकामना।
रुचि अंतस का तम मिटे,जगे हृदय सद्भावना।

✍ सुकमोती चौहान “रुचि”
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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