नई राह पर कविता
धन को धर्म से अर्जित करना
तुम परम आनंद को पाओगे।
सुख, समृद्धि ,ऐश्वर्य मिलेगी
तुम धर्म ध्वजा फहराओगे।
जीवन खुशियों से भरा रहेगा
यश के भागी बन जाओगे ।
अपने धन के शेष भाग को
दान- पुण्य कर देना तुम ।
दीन दुखियों की सेवा करके
निज जीवन धन्य कर लेना तुम।
सत्य,धर्म,तप,त्याग तुम करना
हर सुख जीवन भर पाओगे ।
प्रेम सुधा रस खूब बरसाना
हरि के प्रिय तुम बन जाओगे।
कर्तव्य के पथ पर सदा हीं चलना
तुम महान मनुज कहलाओगे ।
परमार्थ के लिए अपने आप को
निसहाय के बीच सौंप देना तुम।
दीन दुखियों की सेवा करके
निज जीवन धन्य कर लेना तुम।।
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धन को धर्म के पथ पे लगाना
सद्ज्ञान,सद्बुद्धि तुम पाओगे।
प्रिय बनोगे हर प्राणी का
आनंद विभोर हो जाओगे
धरती पर हीं तुम्हें स्वर्ग मिलेगी
फिर प्रभु में लीन हो जाओगे।
दुर्बल,विकल ,निर्बल,दरिद्र का
साथ सदा हीं देना तुम ।
दीन दुखियों की सेवा करके
निज जीवन धन्य कर लेना तुम।।
बाँके बिहारी बरबीगहीया
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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