दिल का पैगाम

भेज रहा हूँ पैगाम तुझको
आँखें मिलाकर आँखों से
चेहरा पढ़कर महसूस कर ले
जो समझा न सके अपनी बातों से

ना समझना इसे कोरा कागज
ना तौलना इसे लहू के नातों से
है पैगाम हमारा वफा-ए-इश्क
जो लिखा है दिल के जज्बातों से

इसमें लगी है प्यार की स्याही
पैगाम भरा है चाहतों से
समझी अगर यह प्रेम की भाषा
पढ़ लूँगा तेरी खिलखिलाहटों से

पसंद आए अगर पैगाम हमारा
भेजना जवाब अपनी आँखों से
मिलने आ जाऊँगा सपने में तेरे
मैं सोया नहीं हूँ कई रातों से

दिल का पैगाम दिल ही समझे
समझेगी तू भी दिल के हालातों से
कर दे तू भी हाल-ए-दिल बयां
भरता नहीं दिल जरा सी मुलाकातों से

आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार


Posted

in

by

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *