दीपावली
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अवध पुरी आए सिय रामा।
ढोल बजे नाचे सब ग्रामा।।
घर-घर दीप जले हर द्वारे।
वापस आए सबके प्यारे।।
राम राज चहुँ दिशि है व्यापे।
लोक लाज संयत सब ताके ।।
राजधर्म सिय वन प्रस्थाना ।
सत्य ज्ञान किंतु नहीं माना।।
है अंतस सदा बसी सीता ।
एकांत रहे उर बिन मीता।।
सुख त्याग सर्व कर्म निभावें।
प्रजा सुखी निज दुख बिसरावें।।
नरकासुर मारे बनवारी ।
राम तो है विष्णु अवतारी ।।
खील बताशे अरू आरती।
सबके मन खुशियाँ भर आती।।
सज रही देख दीप मालिका।
खुश हैं बालक सभी बालिका ।।
उर आनंदित चहुँ दिशि छाये।
हरे तिमिर जगमग छवि पाये ।।
लिपे -पुते सुंदर घर द्वारे।
हैं प्रकाशित रहे उजियारे।।
नए-नए सुंदर परिधाना।
सब को मन से तुम अपनाना।।
अर्चना पाठक ‘निरंतर’
अम्बिकापुर ,सरगुजा
छत्तीसगढ़