ताटंक छन्द – शुभ दीपावली
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जगमग दीप जले घर-घर में,
लेकर खुशियाँ आयी है।
रंग-बिरंगी परिधानों में,
सबके मन को भायी है।।
धनतेरस की पावन बेला,
खुशहाली घर आते हैं।
स्वस्थ होत हैं तन मन जिससे,
धन्वन्तरी बताते हैं।।
लेकर के सौगातें देखो,
शुभ दीवाली आयी है।
जगमग दीप जले घर-घर में,
सबके मन को भायी है।।
नरकासुर राक्षस को मारे,
इस दिन श्री बनवारी थे।
लौटे रावण मार अवध को,
राम विष्णु अवतारी थे।।
स्वागत दीप जलाते दिल से,
खुशियाँ मन में छायी है।
जगमग दीप जले घर-घर में,
सबके मन को भायी है।
माता लक्ष्मी और गजानन,
वांछित वर दे जाते हैं।
खील बताशे भोग आरती,
पूजन शुभ फल पाते हैं।।
घर आँगन में खुशियाँ देखो,
सबके मन में छायी है।।
जगमग दीप जले घर-घर में,
सबके मन को भायी है।
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रचनाकार:-
बोधन राम निषादराज “विनायक”
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)