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दवा बन जा

कविता संग्रह
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ले दर्द सारे किसी के लिए दवा बन जा
लेकर गम बस उसीका हमनवाँ बन जा

सुन किसी के दिल की बात शिद्दत से
प्यार से समझा और राजदाँ बन जा

काम आ दूसरों के सोच गम की बात
देकर साथ सब का खैरखवाह बन जा

सुन दुख किसी का बस हँसते है सब
समझ दर्द किसी का और दवा बन जा

मत सोच लोग क्या सोचते हैं कहते हैं क्या
कर अपने मन की और बेपरवाह बन जा

बाहर निकाल खुद को निराशा के घेरे से
जिन्दा रख बचपन और लापरवाह बन जा


हरदम मदद को हाथ बढाकर नीलम
कायम कर नई मिसाल और दास्ताँ बन जा
नीलम नारंग


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