कविता संग्रह
कविता संग्रह

एक लोरी- माँ के नाम

है बात कई साल पुरानी,
माँ मुझे सुनाती लोरी सुहानी,
मैं फिर झट सो जाता,
सपनों में खो जाता,
लोरी गाकर करती तुकबंदी, और करती निन्दिया को बंदी,
समय ने ली अंगडाई,
प्यारी माँ की उम्र बढाई ।
अब जब थक कर माँ होती चूर,
बिस्तर पर लेट कर ताकती दूर-दूर,
मै समझ जाता माँ के मन की हूक,
मैं झट उठ जाता बिना किए फिर चूक,
जल्दी से बैठ माँ के सिरहाने,
कई जतन करता माँ को सुलाने,
लोरी गाता,सिर सहलाता,
चूमता माथा, दिल बहलाता,
निन्दिया रानी को बेचैन हो बुलाता,
आमंत्रण पाकर आ जाती निन्दिया रानी,
और फिर सो जाती मेरी मैया सयानी।

माला पहल मुंबई


Posted

in

by

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *