निधि छंद “फागुन मास”
निधि छंद “फागुन मास” रचयिता बासुदेव अग्रवाल
निधि छंद “फागुन मास”

फागुन का मास।
रसिकों की आस।।
बासंती वास।
लगती है खास।।
होली का रंग।
बाजै मृदु चंग।।
घुटती है भंग।
यारों का संग।।
त्यज मन का मैल।
टोली के गैल।।
होली लो खेल।
ये सुख की बेल।।
पावन त्योहार।
रंगों की धार।।
सुख की बौछार।
दे खुशी अपार।।