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तन की माया पर कविता – बाबूराम सिंह

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गजल

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तन की माया पर कविता

तनआदमी का जग मेंअनमोल रतन है।
बन जायेअति उत्तम बिगड़ा तो पतन है।

सौभाग्य से है पाया जाने कब मिले,
नर योनी में हीं कटता आवागमन है।

सेवा, तपस्या ,त्याग मध्य ही राग अनुपम,
शुभ गुणआचरणको जगत करता नमन है।

सच्चाई अच्छाई से सुफल इसे बना लो,
आखिर साथ जाता सिर्फ तनपै कफन है।

सुख श्रोत सभी से सत्य मीठा वचन बोल,
विष त्याग कवि बाबूराम झूठा वचन है।

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बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
मोबाइल नम्बर-9572105932
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