गंजापन पर कविता

गंजापन पर कविता

मेरा मित्र गंजा
था बहुत हिष्ट पुष्ट और चंगा
तपती धूप में अकेले खड़ा था
उसका दिमाग़ न जाने
किस आइडिया में पड़ा था?
मेरा बदन तो धूप में जल रहा था
पर गंजा मित्र धूप में खड़ा होकर
अपने सर में सरसो तेल मल रहा था
?मैंने कहा-मित्र टकले
हो गया है क्या तू पगले
तेज धूप में खड़े होकर
सर क्यों जला रहा है
अजीब है तेल भी लगा रहा है
?मित्र कहने लगा-
पागल समझ या कुछ भी
पर सच में नया प्रयोग
मुझको कर जाना है
टकले सर में तेल लगाकर
धूप में आमलेट बनाना है?

राजकिशोर धिरही

Loading

Leave a Comment