“गौरी पर दोहे”
इन्हें भी पढ़ें
CLICK & SUPPORT
1.शंकर की अर्धान्गिनी, गौरी जी कहलाय
बैठी शिव के वाम में, जोड़ी परम सुभाय
- नव दुर्गा नव रूप की,संसार करे भक्ति
जग जननी माँ तू उमा,देती सबको शक्ति - कर जोड़ धूप दीप ले,भक्त खड़े है द्वार
नर नारी पूजन करे,करना माँ उद्धार - माँ महिषासुर मर्दिनी,सिंह पर हो सवार
अद्भुत महिमा माय की,भक्त करे जयकार
5.विपत पड़ा जब भूमि पर,ली काली अवतार
खल दल छल बल नास कर,करे दुष्ट संहार
✍ श्रीमती सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,बसना,महासमुन्द,छ.ग.
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद