गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )
गरीबी पर कविता
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गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमें
जो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?
मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँ
वाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है?
?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़
वाह वाह क्या बात सर जी