गरीबी का घाव
आग की तपिस में छिलते पाँव
भूख से सिकुड़ते पेट
उजड़ती हुई बस्तियाँ
और पगडण्डियों पर
बिछी हैं लाशें ही लाशें
कहीं दावत कहीं जश्न
कहीं छल झूठे प्रश्न
तो कहीं ….
CLICK & SUPPORT
आलीशान महलों की रेव पार्टियाँ
दो रोटी को तरसते
हजारों बच्चों पर
कर्ज की बोझ से दबे
लाखों हलधरों पर
और मृत्यु से आँखमिचोली करते
श्रमजीवी करोड़ों मजदूरों पर
शायद! आज भी ….
किसी की नज़र नहीं जाती
वक़्त है कि गुजर जाता है
लेकिन गरीबी का ये ‘घाव’
कभी भरता ही नहीं ।
– प्रकाश गुप्ता ”हमसफ़र”
राज्य – छत्तीसगढ़
मोबाईल नम्बर – 7747919129