गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं
गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं
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गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं, कैसे हो उद्धार।
मार्ग कठिन आध्यात्म का, होय सहज सब पार।।
गुरु की कर नित बन्दगी,मार्ग सुक्ष्म दरशाय।
पकड़ डोर भव पार हो, महिमा गुरु बतलाय।।
दूर भगाये तिमिर को,देकर हमको ज्ञान।
मेट गुरु अंधकार को,मनुज देय पहचान।।
मानव तन को पाय कर, किया न गुरु से प्यार
डूबे वो मझधार में, भव सागर कब पार।।
– मदन सिंह शेखावत