
गुरु की महिमा
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गुरु की महिमा में कभी,
सीमा रही न एक।
एक गुरू शिक्षण करें,
सीखें शिष्य अनेक।।
आदि शंकराचार्य जी,
गुरु का पा संकेत।
सन्यासी हो ही गए,
तजकर ग्राम-निकेत ।।
गुरु गोविन्द की सीख से,
कई शिष्य तैयार ।
धर्म विरुद्ध समूह का,
करने को प्रतिकार।।
तुलसी, सूर-कबीर भी,
गुरु से लेकर ज्ञान।
देवतुल्य पूजे गये,
विश्व विदित है मान।।
गुरु समर्थ की सीख से,
वीर शिवाजी राव।
रक्षा करते धर्म की,
सहे अनेकों घाव।।
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एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर
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