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गुरु महिमा – मदन सिंह शेखावत

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गुरु महिमा कुण्डलिया

गुरु बिन जीवन व्यर्थ है ,गुरु है देव समान।
नित्य करे गुरु वन्दना,गुरु का कर नित मान।
गुरु का कर नित मान,ज्ञान की राह दिखाये।
देकर मंत्र कमाल , जगत से पार लगाये।
कहै मदन कर जोर,कर ले ढूंढना अब शुरु।
सच्चा गुरु पहचान,व्यर्थ है जीवन बिन गुरु।।

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दोहा

गुरु बिन ज्ञान मिले नही, कैसे हो उद्धार।
मार्ग कठिन आध्यात्म का,होय सहज सब पार।।

गुरु की कर नित बन्दगी,मार्ग सुक्ष्म दरशाय।
पकड़ डोर भव पार हो,महिमा गुरु बतलाय।।

दूर भगाये तिमिर को,देकर हमको ज्ञान।
मेट गुरु अंधकार को,मनुज देय पहचान।।

मानव तन को पाय कर,किया न गुरु से प्यार
डूबे वो मझधार में, भव सागर कब पार।।

मदन सिंह शेखावत ढोढसर

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