गुरु पूर्णिमा पर दोहे

आज दिवस गुरु पूर्णिमा,सुरभित और पवित्र।
होते गुरु सम देवता, और हमारे मित्र।।
गुरु महिमा लेखन करूँ,आज कलम की धार।
मैं अबोध बालक प्रभो,कर लेना स्वीकार।।
तेरी महिमा श्रेष्ठ है ,जग में बहुत महान।
मैं अबोध बालक प्रभो,बना दिया विद्वान।।
किया ज्ञान की ज्योति से,तम को ईश प्रकास।
अंधकार यह गात में, हदरम किया उजास।।
कर्जदार जग हैं सही ,पाकर के उपकार।
कृपा आपकी नित रहे,श्रेष्ठ ज्ञान उपहार।।
*परमेश्वर अंचल*