हे दीन दयालु हे दीनानाथ- मनीभाई नवरत्न
हे दीन दयालु हे दीनानाथ
हे दीन दयालु, हे दीनानाथ !
दिन की रक्षा करलें करें दीपदान।
हे कृपालु ,हे भोलेनाथ!
हीन की रक्षा कर ले मांगे यही वरदान ।
ऊंची चोटी पर तेरी वास है ।
हर तरफ शांति छाया उल्लास है।
छायी रहे ऐसे ही, अमन से जहान।
बड़े भरोसे तुझ पर बड़ा ही गुमान।
तू ही तन मन में तेरा ही लगा ध्यान।
तू ही विधि है तू ही विधान ।।
सेवक है तेरे, सेवा का मौका दे ।
जो भर दे उमंग ,खुशियों का झोंका दे।
तेरे लिए तो ऊंच नीच का सब समान।।
🖋मनीभाई नवरत्न