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हिन्दी कुंडलिया: घायल विषय

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हिन्दी कुंडलिया: घायल विषय


घायल रिपु रण में मिले , शरणार्थी है जान ।
प्राण बचाने शत्रु का, नीर कराओ पान।
नीर कराओ पान, सीख मानवता लेकर।
भेदभाव को त्याग, प्रेम का परिचय देकर।
कहे पर्वणी दीन, शत्रु फिर होंगे कायल ।
समर भूमि में देख , करें सब सेवा घायल।।

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घायल करते कटु वचन, हृदय बढ़ाते पीर ।
शब्द बाण हैं भेदते, जैसे कांँटा तीर।
जैसे कांँटा तीर, देह को छलनी करते ।
मीठी वाणी बोल, हृदय की मरहम बनते ।
कहे पर्वणी दीन, मधुर स्वर मानव मायल ।
कड़वे नीरस शब्द, करें हैं मनवा घायल।।

घायल दशरथ बाण से, होकर श्रवण कुमार ।
सरयू तट पर है गिरे, करते करुण पुकार।
करते करुण पुकार, दृश्य यह देखे दशरथ।
बाण शब्दभेदी चला, शोक में भूले हसरत।
कहे पर्वणी दीन, मोह सुत होकर मायल।
दिए मातु पितु श्राप, देखकर पुत को घायल ।।

पद्मा साहू “पर्वणी”
खैरागढ़ छत्तीसगढ़

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