दुश्मन के लोहू की प्यासी भारत की तलवार है

अरे! तुम्हारे दरवाजे पर दुश्मन की ललकार है
भारत की रणमत्त जवानी, चल क्या सोच विचार है।
राणा के वंशजो, शिवा के पूतो, माँ के लाड़लो।
समर-भूमि में बढ़ो, शत्रु को रोको और पछाड़ लो,
तुम्हें कसम है अपनी मां के पावन गाढ़े दूध की,
चलो चीन से अपनी चौकी, चाँदी मढ़े पहाड़ लो,
सुन, उजड़े तवांग की कैसी करुणा भरी पुकार है। भारत की…

जिसने घोंटा गला शान्ति का उस बेहूदे चीन से,
कह दो, दुश्मन को दलने के हैं हम कुछ शौकीन से,
जहाँ दोस्त को दिल देने में अपना नहीं जवाब है,
वहाँ को पाठ पढ़ाया करते हम से,
दुश्मन के लोहू की प्यासी भारत की तलवार है। भारत की…


कहो शम्भु से आज तीसरा लोचन अपना खोल दे,
हरबोलों से कहो आज हर, हरहर-हरहर बोल दे,
जाग उठी है दुर्गा लक्ष्मी और पद्मिनी नींद से,
कहो कि अपने भाले पर हर दुश्मन का बल तोल दे,
आज देश को आजादी को प्राणों की दरकार है। भारत की…


रवि दिवाकर

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *