हिंदी से ही भारत की शुभ पहचान है

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जिसे बोल मान बढ़े,
हिंदी से ही शान बढ़े ।
हिंदी से ही भारत की,
शुभ पहचान है।
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प्रजातंत्र की है धूरी ,
जिसे बोले हिंद पूरी।
अनेकता में भी एक ,
देश ये समान है ।
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हिंदी प्रीत की है डोरी,
जैसे लगे माँ की लोरी।
हिंदी से ही बने सब,
विधि का विधान है ।
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जानता है पूरा देश ,
हिंदी से ही परिवेश ।
पावन बना है सभी ,
भारत महान है।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)

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