मोहिनी-डॉ एन के सेठी

मोहिनी-कुंडलियाँ सूरत है मन मोहिनी, राधा माधव साथ।हुए निरख सब बावरे, ले हाथों में हाथ।।ले हाथों में हाथ, छवि लगती अति न्यारी।मुरलि बजाए श्याम,लगे सबकोये प्यारी।।कहता कवि करजोरि,है मनमोहिनी मूरत।सब पाएं सुख चैन, देखके उनकी सूरत।।🕉🕉🕉🕉राधा गोरी है अधिक, साँवले घनश्याम।लगती दोनों की छवी,अनुपमअरुअभिराम।।अनुपम अरु अभिराम, रूप सुंदर है भाया।प्रेमभावअलौकिक,दुनिया को ही सिखाया।।कहत नवल करजोरि, … Read more

नन्ही कदमों पर कविता

नन्ही कदमों पर कविता नन्ही कदमों से कोसों चलेमाँ की आंचल पकड़े -पकड़े !और कितनी दूर जाना है माँकुछ चलकर हो जाते खड़े !! माँ बोली थोड़ी दूर और ..बेटा हमको चलना है !एक बार पहुँच गये तोफिर वही पर ठहरना है !!चुभती गर्मी तपती सड़केंनंगे कदमों पर पड़े हैं छाले !लंगड़ाते कई बार गिरामाँ … Read more

सरकारी रिपोर्ट पर कविता

सरकारी रिपोर्ट पर कविता सरकारी रिपोर्ट में कभीमजदूर नहीं होतेमज़दूरों की पीड़ा नहीं होतीमज़दूरों के बिलखते बच्चे नहीं होतेनहीं होता उनके अपनी धरती से पलायन होने का दर्दनहीं होती उनकी भूख और प्यास की कथाबूढ़े माँ-बाप से अलगाव की मज़बूरीऔर शासन-प्रशासन की नाकामी की बातसरकारी रिपोर्ट में कतई नहीं होती सरकारी रिपोर्ट में होती हैखोखली … Read more

विकास यात्रा पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

विकास यात्रा निकला था वहविकास यात्रा में कमायाअपार धन अर्जित कियाअपार यश अब उसेभूख नहीं लगतीनींद नहीं आती अब केवलअपनी तृष्णा के सहारेजीवित हैविकास यात्री। — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र9755852479

रोटी पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

रोटी पर कविता पता नहींइसे रोटी कहूँया भूख या मौतआईना या चाँदमज़बूरी या ज़रूरी कभी मैं रोटी के लिएरोती हूँकभी रोटीमेरे लिए रोती है कभी मैंभूख कोमिटाती हूँकभी भूखमुझे मिटाती है रोटी से सस्तीहोती है मौतवह मिल जाती हैआसानी सेपर रोटी नहीं मिलती रोटी आईना हैजिसमें दिखते हैं हमपर रोटी मेंहम नहीं होतेहमारा आभास होता … Read more