कविता
- बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान
- विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता
- होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र
- आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल
- विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल
- कवि और कविता/सुशी सक्सेना
- विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र
- पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल
- पर्यावरण की रक्षा/कामरान
- दौलत पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र
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हिंदी कविता
कविता’ साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वह जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है.
Kavita ‘is the genre of literature in which a sentiment is artistically expressed by a language. Poetry is the syntax that makes the mind complete with emotions. That is, in which imagination and emotions are effected by the chosen words.
छेर छेरा / राजकुमार ‘मसखरे ‘
छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा.आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै…
दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा
दिल एक मंदिरमंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता!गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं…
रोटी / विनोद सिल्ला
रोटीसांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों…
प्रलय / रमेश कुमार सोनी
प्रलयदिख ही जाता है प्रलय ज़िंदगी मेंदुर्घटना में पूरे परिवार के उजड़ जाने से,बाढ़,सूनामी,चक्रवात से औरकिसी सदस्य के…
पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे
बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ…
चमकते सितारे/ आशीष कुमार
चमकते सितारेनन्हे नन्हे और प्यारे प्यारेआसमान में चमकते सितारेदेखा दूर धरती की गोद सेलगता पलक झपकाते सारेऊपर कहीं…
बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे
राजा बसंत / राजकुमार मसखरेबसंत ऋतुआ...जा आ...जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त…
वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘
वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ' रमा 'बसंत ऋतुआया वसंत आज, भव्य ऋतु मन हर्षाए। खिले पुष्प चहुँ ओर, देख खग भी…
चार के चरचा/ डा.विजय कन्नौजे
चार के चरचा*****4***चार दिन के जिनगी संगीचार दिन के हवे जवानीचारेच दिन तपबे संगीफेर नि चलय मनमानी।चारेच दिन के धन…
मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री
मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्रीमगर संक्रांति आई है।मकर संक्रांति आई है।मिटा है शीत प्रकृति…