कविता
- विश्व पृथ्वी दिवस / देवेन्द्र चरन खरे आलोक
- महान जननायक / अकिल खान.
- श्रीराम नवमी पर कविता
- 13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता
- बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान
- विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता
- होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र
- आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल
- विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल
- कवि और कविता/सुशी सक्सेना
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हिंदी कविता
कविता’ साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वह जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है.
Kavita ‘is the genre of literature in which a sentiment is artistically expressed by a language. Poetry is the syntax that makes the mind complete with emotions. That is, in which imagination and emotions are effected by the chosen words.
बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे
राजा बसंत / राजकुमार मसखरेबसंत ऋतुआ...जा आ...जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त…
वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘
वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ' रमा 'बसंत ऋतुआया वसंत आज, भव्य ऋतु मन हर्षाए। खिले पुष्प चहुँ ओर, देख खग भी…
चार के चरचा/ डा.विजय कन्नौजे
चार के चरचा*****4***चार दिन के जिनगी संगीचार दिन के हवे जवानीचारेच दिन तपबे संगीफेर नि चलय मनमानी।चारेच दिन के धन…
मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री
मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्रीमगर संक्रांति आई है।मकर संक्रांति आई है।मिटा है शीत प्रकृति…
तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागी
तुझे कुछ और भी दूँ !/ रामअवतार त्यागीतन समपित, मन समर्पितऔर यह जीवन समर्पितचाहता हूँ, देश की धरती…
बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह ‘सुमन’
बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह 'सुमन'मां कब से खड़ी पुकार रही,पुत्रों, निज कर में शस्त्र गहो ।सेनापति…
सबकी प्यारी भूमि हमारी / कमला प्रसाद द्विवेदी
सबकी प्यारी भूमि हमारी, धनी और कंगाल की।जिस धरती पर गई बिखेरी, राख जवाहरलाल की ।।दबी नहीं वह क्रांति हमारी,…
जीत मरण को वीर / भवानी प्रसाद तिवारी
जीत मरण को वीर / भवानी प्रसाद तिवारीजीत मरण को वीर, राष्ट्र को जीवन दान करो,समर-खेत के बीच अभय हो…
आज सिंधु में ज्वार उठा है / अटल बिहारी वाजपेयी
कुरुक्षेत्र के कण-कण से फिर, पांचजन्य हुंकार उठा है।शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिंदुस्तान हमारा,जग के…