होली चालीसा – बाबू लाल शर्मा

चैत्र कृष्ण एकम होली धुलेंड़ी वसंतोत्सव Chaitra Krishna Ekam Holi Dhulendi Vasantotsav

याद करें प्रल्हाद को,भले भलाई प्रीत।
तजें बुराई मानवी, यही होलिका रीत।।


हे शिव सुत गौरी के नंदन।
करूँ आपका नित अभिनंदन।।१

मातु शारदे वंदन गाता।
भाव गीत कविता में आता।।२

भारत है अति देश विशाला।
विविध धर्म संस्कृतियों वाला।।३

नित मनते त्यौहार अनोखे।
मेल मिलाप,रिवाजें चोखे।।४

दीवाली अरु ईद मनाएँ।
फोड़ पटाखे आयत गाएँ।।५

रोजे रखें करे नवराते।
जैनी पर्व सुगंध मनाते।।६

मकर ताजिए लोह्ड़ी मनते।
खीर सिवैंया घर घर बनते।।७

एक बने हम भले विविधता।
भारत में है निजता समता।।८

क्रिसमस से गुरु दिवस मनाते।
गुरु गोविंद से नेह निभाते।।९

भिन्न धर्म भल भिन्न सु भाषा।
देश एकता मन अभिलाषा।।१०

मकर गये आये बासन्ती।
प्राकृत धरा सुरंगी बनती।।११

विटप लता कलि पुष्प नवीना।
उत्तम जीवन कलुष विहीना।।१२

झूमे फसल चले पछुवाई।
प्राकृत नव तरुणाई पाई।।१३

अल्हड़ नर नारी मन गावे।
फागुन मानो होली आवे।।१४

होली है त्यौहार अजूबा।
लगे बाँधने सब मंसूबा।।१५

खेल कबड्डी रसिया भाते।
होली पर पहले से गाते।।१६

पकती फसल कृषक मन हरषे।
तन मन नेह नयन से बरसे।।१७

प्रीत रीत की राग सुनाती।
कोयल काली विरहा गाती।।१८

मौसम बनता प्रीत मिताई।
फागुन होली गान बधाई।।१९

तरुवर भी नव वसन सजाए।
मधुमक्खी भँवरे मँडराए।।२०

पुष्प गंध रस प्रीत निराली।
रसिया पीते भर भर प्याली।।२१

बौराए जन मन अमराई।
तब माने मन होली आई।।२२

हिरणाकुश सुत थे प्रल्हादा।
ईश निभाए रक्षण वादा।।२३

बहिन होलिका गोद बिठाकर।
जली स्वयं ही अग्नि जलाकर।।२४

बचे प्रल्हाद मनाई खुशियाँ।
अब भी कहते गाते रसियाँ।।२५

खुशी खुशी होलिका जला ते।
डाँड रूप प्रल्हाद बचाते।।२६

ईश संग प्रल्हाद बधाई।
होली पर सजती तरुणाई।।२७

कन्या सधवा व्रत बहु धरती।
दहन होलिका पूजन करती।।२८

दहन ज्वाल जौं बालि सेंकते।
मौसम के अनुमान देखते।।२९

दूजे दिवस रंगीली होली।
रंग अबीर संग मुँहजोली।।३०

रंग चंग मय भंग विलासी।
गाते फाग करे जन हाँसी।।३१

ऊँच नीच वय भेद भुलाकर।
मीत गले मिल रंग लगाकर।।३२

कहीं खेलते कोड़ा मारी।
नर सोचे मन ही मन गारी।।३३

चले डोलची पत्थर मारी।
विविध होलिका रीत हमारी।।३४

बृज में होली अजब मनाते।
देश विदेशी दर्शक आते।।३५

खाते गुझिया खीर मिठाई।
जोर से कहते होली आई।।३६

मेले भरते विविध रंग के।
रीत रिवाज अनेक ढंग के।।३७

पकते गेंहूँ,कटती सरसों।
कहें इन्द्र से अब मत बरसो।।३८

होली प्यारी प्रीत सुहानी।
चालीसा में यही कहानी।।३९

शर्मा बाबू लाल निहारे।
मीत प्रीत निज देश हमारे।।४०

दोहा–
होली पर हे सज्जनो, भली निभाओ प्रीत।
सबकी संगत से सजे, देश प्रेम के गीत।।

बाबू लाल शर्मा”बौहरा”
सिकंदरा 303326
दौसा,राजस्थान,9782924479

Comments

  1. लक्ष्मीकान्त शर्मा ' रुद्रायुष ' Avatar
    लक्ष्मीकान्त शर्मा ‘ रुद्रायुष ‘

    अद्भुत, पूरी विशेषताएं स्पष्ट /
    उत्कृष्ट सृजन …..
    आपकी लेखनी को शत – शत नमन???

  2. अरुणा डोगरा शर्मा Avatar
    अरुणा डोगरा शर्मा

    आदरणीय आपकी लेखनी को नमन

  3. बाबू लाल शर्मा बौहरा Avatar
    बाबू लाल शर्मा बौहरा

    आपका आत्मीय आभार जी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *