होली पर कविता – राज मसखरे
होली पर कविता – राज मसखरे

जला दी हमने
राग-द्वेष,लालच
लो अब की बार..
पून:अंकुर न ले
न हो कोई बहाना
ओ मेरे सरकार..
हो न कोई नफरत
अब हमारे बीच
न कोई बने दिवार..
रंगिनियाँ बिखरता रहे
लब में हो मुस्कान
ओ मेरे मीत,मेरे यार.
चढ़ता जाये मस्ती
उतर न पाये होली मे
ये रंगीन खुमार …
दिल से दिल मिले
‘मसखरे’सुन लो जरा
रहे खुशियाँ बेशुमार .
राज मसखरे
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