होली पर्व -कुण्डलियाँ
होली पर्व – कुण्डलियाँ

होली के इस पर्व पर, मेटे सब मतभेद।
भूल गिला शिकवा सभी, खूब जताये खेद।
खूब जताये खेद, शिकायत रह क्यों पाये।
आपस मे रह प्रेम, उसे भूले कब जाये।
मदन कहै समझाय,खुशी की भर दे झोली।
जीवन हो मद मस्त, प्यार की खेलें होली।।
मदन सिंह शेखावत ढोढसर