होली पर्व पर कविता ( Holi par Kavita) हिंदी में
होली पर्व पर कविताओं ( Holi par Kavita) का संकलन हिंदी में रचना आपके समक्ष पेश है उससे पहले जानिए होली के बारे में
होली पर्व
होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

हर पल होली दीवाली हो – रामनाथ साहू ननकी
हर पल होली दीवाली हो ।
मन को ही मंदिर सा कर लो ,
देव प्रतिष्ठित थाली हो
श्रद्धा पूरित भाव भरे हों ,
स्वीकृति दे दो न सवाली हो ।
मुख में मुस्कान सदा बिखेरो ,
हाथों में पूजा थाली हो ।।
हो आदर्श सुनिश्चित मति पर ,
तिकड़म छूटे न कुचाली हो ।
पुष्पांजलि सदा सुसज्जित हो
कर से सुदूर दूनाली हो ।।
मधुर शब्द स्वर सधे मजे से
करे प्रार्थना मत गाली हो ।
चरण दिव्य पथ चले निरंतर ,
कीर्तन करतल ताली हो ।।
अपना महत्व जाना जिस दिन ,
अद्भुत पल की हरियाली हो ।
उसी ज्ञान की हे मेरे दाता ,
आजीवन महा जुगाली हो ।।
—- रामनाथ साहू ननकी
*मुरलीडीह* *( छ. ग. )*
होली पर्व पर कविता
दिया संस्कृति ने हमें,अति उत्तम उपहार,
इन्द्रधनुष सपने सजे,रंगों का त्यौहार।1।
नव पलाश के फूल ज्यों,सुन्दर गोरे अंग,
ढ़ोल-मंजीरा थाप पर,थिरके बाल-अनंग।2।
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मलयज को ले अंक में,उड़े अबीर-गुलाल,
पन्थ नवोढ़ा देखती,हिय में शूल मलाल।3।
कसक पिया के मिलन की,सजनी अति बेहाल,
सराबोर रंग से करे,मसले गोरे गाल।4।
लुक-छिप बॉहों में भरे,धरे होंठ पर होंठ,
ऑखों की मस्ती लगे,जैसे सूखी सोंठ।5।
बरजोरी करने लगे,गॉव गली के लोग,
कली चूम कहता भ्रमर,सुखदाई यह रोग।6।
झर-झर पत्ते झर रहे,पवन बहे इठलाय,
सुधि में बंशी नेह की,अंग-अंग इतराय।7।
तरुणाई जलने लगी,देखि काम के बाण,
बिरहन को नागिन डसे,प्रियतम देंगे त्राण।8।
पत्तों के झुरमुट छिपी,कोयल आग लगाय,
है निदान क्या प्रेम का,कोई मुझे बताय।9।
ऋद्धि-सिद्धि कारक बने,ऊॅच-नीच का नाश,
अंग-अंग फड़कन लगें,पल-पल नव उल्लास।10।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’,
रायबरेली-(उप्र)-229010
9125908549
9415955693