लूटती जनता पर कविता – कमल कुमार आजाद
करोना काल में लोग किस तरह से परेशान हुए जनता की वेदना को महसूस किया गया और उसको कविता के रूप में लिखा गया है यह मौलिक अप्रक्षित रचना मेरे द्वारा लिखी गयी है |
लूटती जनता पर कविता – कमल कुमार आजाद

जनता पूछती है सियासत के कद्रदानो से ,
कहा थे जब लोग लूट मर रहे थे अस्पतालों में |
ऑक्सीजन दवा नहीं मिली दवाखानो में ,
लोग रोड पर तड़फते रहे अपनों को बचाने को |
चेहरों पर सफ़ेद नकाब ओढ़े डाक्टर ,
लगा यमराज ले जा रहा जैसे क़त्ल खानों को |
शहर की हवाओ में फैली शवो की दुर्गन्ध ,
मुर्द घाट में मुर्दे भी लगे अपनी बारी आने को |
कुछ को कफ़न भी नसीब नहीं हुआ ,
सुना है चोर ले गये अपने बिस्तर सजाने को |
हम दफन हो गये नदी किनारे रेत में ,
रिश्तेदार भी आ गये तेरेवी का खाना खाने को |
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नेताजी बिजी मीडिया वोटिंग के विज्ञापनों में ,
भ्रस्टचारी लगे रहे भारत को विश्व गुरु बनाने को |
बुद्धि में दुसित नफरती रसायन घुल चूका ,
हम लगे अपना अपना धर्म जाति बचाने को |
भाई हम बचेंगे तो देश बच पायेगा ,
वरना कोई नहीं पूछेगा कंक्रीट के आशयानो को |
पहले पैसा जमा करो प्राइवेट अस्पतालों में ,
भगवान भरोसे फिर इलाज़ होगा दवाखानो में
आओ मिलजुल कर कुछ करे अपनों के लिए ,
इंसान को इंसान का सही मकसद समझाने को |
जनता पूछती है …
द्वारा : कमल कुमार आजाद
पता : फ्लैट ३०४ , सिल्वर ओक
ग्रीन गार्डन कॉलोनी
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़) ४९५००१ / मोबाइल ९१३१२३१९३५ / दिनांक 16 /०९/२०२१