जगमग दीया जलाबो
चक चंदन दिखे सुघ्घर,
लिपे -पोते घर आंगन उज्जर !
जगमग दीया जलाबो,
लक्ष्मी दाई ल मनाबो !
पावन पबरीत परब आए हे,
मिल -जुल के मनाबो !
मया पिरीत के दीया म संगी
सुनता के बाती लगाबो !
बिरबिट कारी ये अंधियारी ,
सुरहुती मभगाबो !
जाति -धरम के खोचका -डिपरा,
मेड़पार बरोबर करबो !
परे- डरे गीरे -थके के,
दुख -पीरा ल हरबो !
गरीब गुरवा के कुरिया म
चंदा- चंदईनी ऊगाबो!
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