झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित किया गया है इसमें उनकी चारित्रिक विशेषताओं की झलक मिलती है |झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

झाँसी की रानी की है अजब कहानी

झाँसी को बचाने
दी प्राणों की कुर्बानी

सादे जीवन का
बीज उसने बोया

चार वर्ष की आयु में
अपनी माँ को खोया

बाल्यकाल से ही
वह बिल्कुल निडर थी

वीरता उसके
मन में रची बसी थी

घोड़े की सवारी
लगती थी उसे न्यारी

झाँसी को बचाने वह
अंग्रेजों पर पड़ी भारी

मन से निडर वह
तन से सजग थी

देश प्रेम की भावना
उसके मन में बसी थी

झाँसी से उसको कुछ
विशेष ही लगाव था

उसके कोमल मन पर
शास्त्रों का प्रभाव था

उसे मराठी , संस्कृत और
हिंदी का ज्ञान था

शस्त्रों से उसको
विशेष ही लगाव था

उसकी कुंडली में
रानी का योग था

मन में उसने अपने
स्वतंत्रता का बीज बोया था

बुंदेलों की परम्परा की
यह महान रानी थी

बुंदेले हरबोलों के मुहं
हमने सुनी कहानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी

नारी उत्थान की वह
एक अनुपम कहानी थी

1857 की वह तलवार
पुरानी थी

इस महान रानी ने
झाँसी की बागडोर थामी थी

यह कहानी उसके
बलिदान की कहानी है

जिसने सब मे देश प्रेम की
नीव डाली थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी

Leave A Reply

Your email address will not be published.