गणेश वंदना -दूजराम साहू
गणेश वंदना ( छत्तीसगढ़ी)
जय ,जय ,जय ,जय हो गनेश !
माता पारबती पिता महेश !!

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सबले पहिली सुमिरन हे तोर ,
बिगड़े काज बना दे मोर !
अंधियारी जिनगी में,
हावे बिकट कलेश !!
बहरा के बने साथी,
अंधरा के हरस लाठी !
तोर किरपा ले कोंदा ,
फाग गाये बिशेष !!
बांझ ह महतारी बनगे ,
लंगड़ा ह पहाड़ चढ़गे !
भिख मंगईया ह,
बनगे नरेश !!
दूजराम साहू
निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
जिला_ राजनांदगाँव (छ. ग. )
बहुत सुंदर वंदना
Very nice
Very nice sir ji
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