Send your poems to 9340373299

कंगन की खनक समझे चूड़ी का संसार

0 3,886

CLICK & SUPPORT

कंगन की खनक समझे चूड़ी का संसार

HINDI KAVITA || हिंदी कविता
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

नारी की शोभा बढ़े, लगा बिंदिया माथ।
कमर मटकती है कभी, लुभा रही है नाथ।

कजरारी आँखें हुई,  काजल जैसी रात।
सपनों में आकर कहे,  मुझसे मन की बात।

CLICK & SUPPORT

कानों में है गूँजती, घंटी झुमकी साथ।
गिर के खो जाए कहीं, लगा रही पल हाथ।

हार मोतियों का बना, लुभाती गले डाल।
इतराती है पहन के, सबसे सुंदर माल।

कंगन की खनक समझे, चूड़ी का संसार।
प्रिय मिलन को तड़प रही, तू ही मेरा प्यार।

अर्चना पाठक ‘निरंतर’ 

अम्बिकापुर 

Leave A Reply

Your email address will not be published.