लहराता तिरंगा बजता राष्ट्रीय गान
कहीं लहराता तिरंगा
बजता राष्ट्रीय गान कहीं
कहीं कहीं देश के नारे
शहीदों का सम्मान कहीं
पूजा थाली दीप सजाकर
चली देश की ललनाएँ!!
भैया द्वारे सूत खोलकर
रक्षा की ले रही दुआएँ।।
रंग बिरंगी सजी थी राखी
भीड़ लगी थी बाजारों में!
खिली खिली देश की गली
दो दो पावन त्यौहारों मे!
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दोनों प्रहरी इस मिट्टी के
संजोग ये कैसा आज है आई?
इधर बहन की रक्षक बैठे
उधर सीमा पर सैनिक भाई!
जाता सावन दुख भी देता
फिर न मिलेगा ऐसा रूप!
पल न बीते भादों आता
ऐसा इनका जोड़ी अनूप!!
गोल थाल सी निकली चंदा
सावन पुन्नी अति मनभावन!
शिवशंकर का नमन करे सब
बम बम भोले मंत्र है पावन!
शाम सबेरे दिन भर आनंद
लो फिर आ गयी है रात!
वत्स कहे शुभ रात्रि सभी को
राम लला को नवाकर माथ!
– राजेश पान्डेय वत्स
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