खुद की तलाश पर कविता-मनोज बाथरे
खुद की तलाश पर कविता
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जिंदगी में भी
कैसे कैसे
मोड़ आते हैं
जिनमें कुछ लोग
तो अपनी
अलग पहचान
बना लेते हैं
और कुछ लोग
गुमनामी के अंधेरों में
को जाते हैं
और फिर
खुद की तलाश
करतें हैं।।