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ख्वाहिशें हमसे न पूछो-बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

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ख्वाहिशें हमसे न पूछो-बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

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ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है,
तान सीना जो अड़े है,
वे बहुत कमजोर हैं।
आज जो बनते फिरे वे ,
शाह पक्के चोर हैं,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें सैनिक दबाए,
जो बड़ा बेजार है,
जूझ सीमा पर रहा जो,
मौत का बाजार है।
राज के आदेश बिन ही,
वह निरा कमजोर है,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें कृषकों से पूछो,
स्वप्न जिनके चूर हैं
जय किसान के नारे गाते,
कर देते मशहूर है।
नंग बदन अन्न का दाता,
आज भी कमजोर है,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें बच्चों से पूछो,
छिन गये बचपन कभी,
रोजगार के सपने देखें,
लगे न पूरे हुएँ कभी।
आरक्षण है भूल भुलैया,
बेकामी घनघोर है,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें गुरुजन से पूछो,
मान व सम्मान की,
संतती हित जो समर्पित,
भग्न मन अरमान की।
मनात्माएँ जीर्ण होते,
व्याधियाँ पुर जोर है,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें जनता से पूछो,
वोट देने की जलालत,
चोर सीना जोर होते,
रोटियाँ ही कयामत।
देशहित जो ये चुने थे,
भ्रष्ट रिश्वत खोर हैं,
ख्वाहिशें हमसे न पूछो, एक जी
ख्वाहिशों का जोर है।

ख्वाहिशें बिटिया से पूछो,
जन्म लगते भार है,
हर कदम बंदिश लगी है,
खत्म जीवन सार है।
अगले जन्म बेटी न कीजै,
हरजहाँ यह शोर है
ख्वाहिशें हमसे न पूछो,
ख्वाहिशों का जोर है।
. ————
बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

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