किसान पर हाइकु
किसान पर हाइकु

मेघ बरसे
अनचाही बारिश
टूटती आस
खड़ी फसल
हो रही है बर्बाद
रोता किसान
खेत हैं सूखे
भूख कौन मिटायें
बंजर धरा।
रस्सी के फंदे
शाहकारों का कर्ज
लम्बी गर्दन।
कर्ज से मुक्ति
शासन से राहत
कृषक हंसा।
अविनाश तिवारी
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