जीवन मूल्य चुकाती कुल्हाड़ी – आशीष कुमार

कुल्हाड़ी

तीखे नैन नक्श उसके
जैसे तीखी कटारी
रुक रुक कर वार करती
तीव्र प्रचंड भारी
असह्य वेदना सह रहा विशाल वृक्ष
काट रही है नन्हीं सी कुल्हाड़ी

शक्ति मिलती उसको जिससे
कर रही उसी से गद्दारी
खट खटाक खट खटाक
चीर रही नि:शब्द वृक्ष को
काट रही अंग-अंग उसका
जिसके अंग से है उसकी यारी

परंतु दोषी वह भी नहीं
अपनों ने ही उसे भट्ठी में डाला
देकर उसे आघात बागी बना डाला
हर एक चीख पर हृदय से
निकल रही थी चिंगारी
अस्तित्व में आ रही थी
विद्वेष की भावना लिए
अपनों का अस्तित्व मिटाने वाली
कठोर निर्दयी कुल्हाड़ी

यह जीवन उनकी देन है
जिनके लिए यह लाभकारी
जीवन पर्यंत बनी रहेगी कठपुतली उनकी
बस उनके इशारों पर इसका खेल जारी
पशु पक्षी अरण्य पर्यावरण
सबकी हाय ले रही
मगर बनाने वाले की इच्छा तृप्त कर रही
जीवन मूल्य चुकाती कुल्हाड़ी |

                    – आशीष कुमार
                     मोहनिया बिहार

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *