कुत्ता पर बाल कविता

लालची कुत्ता
कुत्ता इक रोटी को पाकर,
खाने चला गाँव से बाहर।
नदी राह में उसके आई,
पानी में देखी परछाई।
लिये है रोटी कुत्ता दूजा,
डराके छीनू, उसने सोचा।
लेकिन उसकी किस्मत खोटी,
भौका ज्यों ही गिर गई रोटी।
कुत्ता पर बाल कविता
कुत्ता इक रोटी को पाकर,
खाने चला गाँव से बाहर।
नदी राह में उसके आई,
पानी में देखी परछाई।
लिये है रोटी कुत्ता दूजा,
डराके छीनू, उसने सोचा।
लेकिन उसकी किस्मत खोटी,
भौका ज्यों ही गिर गई रोटी।
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