माँ की ममता – सुश्री गीता उपाध्याय
परम्परानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा कुछ परम्परागत महिला कार्य जैसे अन्य सदस्यों के लिए खाना बनाने और सफाई करने को प्रशंसा के संकेत के रूप में चिह्नित किया गया था। मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कई देशों में 8 मार्च को मनाया जाता हैं।

माँ की ममता
विधा:- गज़ल
मैं हूँ कदमों में उठा ले मुझको।
माँ तू सीने से लगा ले मुझको।।
कब से रोये ही जा रही हूँ मैं।
तू आ के चुप तो करा ले मुझको।।
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तेरे दिल का ही एक टुकड़ा हूँ।
अपनी धड़कन में मिला लें मुझको।।
ये तेरी गोद मेरी जन्नत है।
मेरी जन्नत में बिठा ले मुझको।।
इक शिवा तेरे सबसे डरती हूँ।
अपने आँचल में छुपा ले मुझको।।
तेरी ममता के लिए रूठी हूँ।
माँ की ममता से मना ले मुझको।।
‘गीता’ लोरी को तरसती निंदिया।
तू लोरी गा के सुला ले मुझको।।
— सुश्री गीता उपाध्याय
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)