माँ की ममता
माँ की ममता
माँ की ममता का इस जग में मोल नहीं।
तौल सके इस ममता को,वह बना आज तक तौल नही।
रख नौ मास कोख में सुत को,
सौ सौ जतन किया।
प्रसव वेदना सही असनिय,
पुञ को जनम दिया।
उस जननी के लिए कभी कडवे बचन तू बोल नही।।
तौल सके इस…..
जागी रातों में माँ ने पलकों में,
तुझे बिठाया।
खुद गीले में सोकर के तुझे,
सुख की नींद सुलाया।
उस माँ की अमिमय आंखों में,
आँसू कभी तू घोल नही।।
तौल सके इस….
हुआ कभी कष्ट सुत को,
मां व्याकुल हो जाती।
देवी देव मनाया करती,
झर झर अश्रू बहाती।
उस माँ की ममता को कभी,
अंहकार से तौल नही।।
तौल सके इस…..
अपनी रक्त को दूध बनाकर ,
माँ ने तुझे पिलाया।
खुद भूखी रह अपना निवाला,
माँ ने तुझे खिलाया।
माँ शब्द से बढ़कर.,
जग में दूजा कोई बोल नहीं।।
तौल सके इस….
घूप छाँव से तुझे बचाया,
फूल बिछाये राहों में।
धूल धूसरित था तब भी,
तुझे उठाया बाँहों में।
उस रहबर की राहों में,
आने देना शूल नही।।
तौल सके इस….
पहली बार मुँह खोला तब तू,
माँ शब्द ही बोला।
उँगली पकड़ माँ बाप चलाते,
जब जब था तू ड़ोला।
ईश्वर भी माँ को नमन करे,
इस बात को तू भूल नहीं।।
तौल सके इस ममता को,
वह बना आज तक तौल नही।
तौल सके इस ममता को,वह बना आज तक तौल नही।।।
केवरा यदु मीरा