माँ लक्ष्मी वंदना-डॉ.सुचिता अग्रवाल”सुचिसंदीप”

माँ लक्ष्मी वंदना

आश्विन कृष्ण सप्तमी महालक्ष्मी व्रत Ashwin Krishna Saptami Mahalaxmi fast

चाँदी जैसी चमके काया, रूप निराला सोने सा।
धन की देवी माँ लक्ष्मी का, ताज चमकता हीरे सा।

जिस प्राणी पर कृपा बरसती, वैभव जीवन में पाये।
तर जाते जो भजते माँ को, सुख समृद्धि घर पर आये।

पावन यह उत्सव दीपों का,करते ध्यान सदा तेरा।
धनतेरस से पूजा करके, सब चाहे तेरा डेरा।

जगमग जब दीवाली आये,जीवन को चहकाती है।
माँ लक्ष्मी के शुभ कदमों से, आँगन को महकाती है

तेरे साये में सुख सारे, बिन तेरे अँधियारा है।
सुख-सुविधा की ठंडी छाया, लगता जीवन प्यारा है।

गोद सदा तेरी चाहें हम, वन्दन तुमको करते हैं।
कृपादायिनी सुखप्रदायिनी,शुचिता रूप निरखते हैं।

डॉ.सुचिता अग्रवाल”सुचिसंदीप”
तिनसुकिया,असम
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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