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माँ मैं वापस आना पाई

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माँ मैं वापस आना पाई

मातृ दिवस मई (दूसरा रविवार) MOTHER'S DAY 2ND SUNDAY OF MAY MONTH
मातृ दिवस मई (दूसरा रविवार) MOTHER’S DAY 2ND SUNDAY OF MAY MONTH

माँ,
तेरे आंसू को मैं आज पोछ ना पाई
तेरे दर्द को मैं आज मोल ना पाई ॥
तेरे दुख का क्या अनुमान मैं लगाऊं
लोगों की बातों से तुझे बचा ना पाई ॥
इस स्थिति मे तू खुद को संभालना पाई
माँ, मैं वापस आना पाई॥ २॥

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माँ,
पापा ने भी मुझे इतना पढ़ाया
हर सफलता के काबिल बनाया॥
दुल्हन बनेगी मेरी गुड़िया
यह ख्वाब था उन्होंने सजाया ॥
इस पीड़ा से उनको मैं बचाना पाई
माँ ,मैं वापस आना पाई॥ २॥

माँ,
छोटी बहन भी खुद पर अफ़सोस जताएगी
लोगों से अब वो पल-पल घबराएगी ॥
औरत ही दुर्गा का स्वरुप है इसे तू कहना
सबसे लड़ने की शक्ति इसे तू देना ॥
इतनी जिम्मेदारियां छोड़ दूर में चली आई
माँ ,मैं वापस आना पाई॥ २॥

माँ,
लोग भी सड़कों पर उतर आएंगे
इंसाफ की मांग का दिया जलाएंगे ॥
मेरी तस्वीर हर जगह लगाएंगे
और चार दिन बाद भूल भी जाएंगे॥
पर माँ तू तब तक लड़ना
जब तक उन्हें फांसी पर ना चढ़ाएं ॥
ऐसा हादसा भविष्य में
फिर कभी कोई ना दोहराए॥ २॥

रमिला राजपुरोहित
(Justice for rape victims)

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