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मां पर गजल

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यहां पर माधुरी डर सेना द्वारा मां पर बेहतरीन ग़ज़ल लिखा गया है। आइए इस ग़ज़ल का आनंद लें

मां पर गजल

बड़ी खूबसूरत सी सौगात है माँ
कभी खत्म न हो वो बरसात है माँ

है आँगन की तुलसी सदा जो महकती
लगे स्वर्ग की कोई परिजात है माँ ।

तरन्नुम सुरीली है मीठी सी लोरी
खुदा की दुआ नर्म जज़्बात है माँ ।

कभी गम के साये फटकने न देती
उजाले लिए सुब्ह औ रात है माँ ।

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समंदर की लहरें समेटे हुए है
रखे गर्दिशों में भी कुशलात है माँ

उन्ही के हैं दस्तख़त मेरे जिस्म जां में
वकालत को हरपल ही तैनात है माँ ।

चमकता हुआ वो सितारा बना दे
फरिश्तों की मीठी मुलाक़ात है माँ ।

जमाने में काबिल बना के दिखाती
जहां में बुलंदी की औक़ात है माँ

कभी मर्म छू लो बुढ़ापे में “मुदिता”
रखे आज तक भी ख़यालात है माँ।

—- माधुरी डड़सेना “मुदिता”

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