माधुरी मंजरी – सेवा
माधुरी मंजरी —-
●◆■★ सेवा – 2 ★■◆●
सेवा वंचित मत रहो,
तन मन दीजे झोक
सेवा मे सुख पाइए,
नहीं लगाओ रोक ।।1।।
जो सेवा संपन्न है ,
देव अंश तू जान ।
इनके दर्शन मात्र से ,
मिलते कई निदान ।।2।।
सेवा का व्यापार कर ,
बनते आज अमीर ।
पीड़ित जन सब मूक हैं
साहब तुम बेपीर ।।3।।
सेवा कुर्बानी चहै
करे अहं का नाश ।
सो अपनाये धर्म को ,
अंतर हृदय प्रकाश ।।4।।
जहाँ कभी भी जो मिले ,
सेवा का रख भाव ।
छोटे ऊँचे नीच लघु ,
कीजे नहीं दुराव ।।5।।
—- माधुरी डड़सेना ” मुदिता “
भखारा