महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। विकिपीडिया
महाभारत के पात्रों पर दोहा संग्रह
महाभारत के पात्रों के नाम
1.कौरव ◆
अनुचित हठ अंकुश करें, संतानों की आप।
कौरव सम असहाय हो, हठी पुत्र अभिशाप।।
2. कर्ण ◆
अस्त्र शस्त्र विद्या धनी, खड़े अधर्मी साथ।
निष्फल सब वरदान हों, शक्ति रहित दो हाथ।।
3. अश्वत्थामा ◆
विद्या बल करने लगे, शाश्वत जग का नाश।
चाह असंगत पुत्र की, बाँध ब्रह्मा के पाश।।
4. भीष्म पितामह ◆
भीष्म प्रतिज्ञा कीजिये,सोच धर्महित ज्ञान।
वरन अधर्मी पग तले, सहन करो अपमान।।
5. दुर्योधन ◆
शक्ति राज्य अरु संपदा, दुराचार सह भोग।
स्वयं नाश दर्शन करे, यही नियत संयोग।।
6. धृतराष्ट्र ◆
नेत्रहीन के हाथ में, मुद्रा मदिरा मोह।
सर्वनाश निश्चित करे, सत्ता काया खोह।।
7.अर्जुन ◆
चंचल मन विद्या रखें, बाँध बुद्धि की डोर।
विजय सदा गांडीव दे, जयकारे चहुँओर।।
8. शकुनि ◆
द्वेष कपट छल छोड़िए, कूटनीति की दाँव।
सफल सुखद संभव कहाँं, शूल वृक्ष की छाँव।।
9. युधिष्ठिर ◆
धर्म कर्म पथ में रहें, पालन प्रतिपल नाथ।
अविजित जग में धर्म है, विजय तुम्हारे हाथ।।
10. श्री कृष्ण ◆
धर्म न्याय संगत रहें, सोच प्रथम परमार्थ।
चक्र सुदर्शन थाम कर, करें कर्म चरितार्थ।।
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