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मैं स्त्री हूँ

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मैं स्त्री हूँ

मैं एक शायर की लिखी शायरी हूँ
एक कवि की लिखी कविता हूँ
कामिनी हूँ मैं, दामिनी भी हूँ
दुर्गा ,सीता,सावित्री
पार्वती ,लक्ष्मी,सरस्वती हूँ मैं


मैं ब्रह्मांड का सृजन करने वाली हूँ
मैं करुणा भी हूँ, रण चण्डी भी हूँ
मैं कहानी हूँ, गजल भी हूँ
मेरी उज्ज्वलता ये चांदनी है
घने केश ये श्यामवर्णी जलद है

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उषाकाल मेरे अधरों की लालिमा है
ये नदी आकाश-पट का लहराता अंचल है
माला के मोती ये सितारे है
मस्तक टीका ये पर्वत है
सूर्य बिंदी ,चन्द्र आइना है


निर्झर भुजाएं,सागर पद है
मैं वनों -सी खुशहाली हूँ
इस धरती की माली हूँ
मैं माँ,भगिनी,आत्मजा हूँ
तो जीवनसंगिनी भी हूँ
घर की इज्जत हूँ,महकती फुलवारी हूँ
मान,सम्मान,स्वाभिमानी हूँ
दया का सागर………मैं स्त्री हूँ


✍–धर्मेन्द्र कुमार सैनी,बांदीकुई
दौसा(राजस्थान)
मो.-9680044509

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