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मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई

मैंने चाहा तुमको हद से,
कोई खता तो नहीं।
मैंने मांगा मेरे राम से
कोई ज्यादा तो नहीं।
तू समझे या ना समझे
तू चाहे या ना मुझे चाहे
इसमें कोई वादा तो नहीं।

तेरी भोली बातें सुनूं,
या देखूं ये निगाहें
कैसे संभालूं दिल को,
कैसे छुपाऊं आहें।
तेरे पास पास रहूं,
तेरे साथ साथ चलूं
इसकी कोई वजह तो नहीं।

तुम मेरे कल हो,
और आज हों अभी,
तुमसे मेरे काम हो,
आराम हो अब सभी।
तुमसे हर बात कहूं ,
पूरे दिन सात कहूं।
तुझे ना सोचूं कोई
ऐसी जगह तो नहीं।

मनीभाई नवरत्न

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