मां अमृता की कुर्बानी-अरुणा डोगरा शर्मा

मां अमृता की कुर्बानी

 याद करो वो कहानी, 
मां अमृता की कुर्बानी ,
काला था वो मंगल ,
रोया घना जंगल । 

खेजराली हरियाली, 
पर्यावरण निराली, 
सुंदर वृक्षों का घर ,
 रेतीली धरा पर।

 वारी हूं मैं बलिहारी, 
हार गए अहंकारी ,
प्राण आहूति देकर ,
शिक्षा दी है  न्यारी।। ।। 

अरुणा डोगरा शर्मा
यह घनाक्षरी माता अमृता देवी जी की याद में लिख रही हूं जिनका बलिदान हमें पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे बड़ी शिक्षा है । 
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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